मेडिटेशन या ध्यान केसे करते है
मेडिटेशन वो क्रिया है जिसके द्वारा हम अपने मन के विचारो और भावो को खतम करके एक ऐसी मुद्रा या स्तिथि में पहुंच जाते है जहां संसार के समस्त विचारो से परे हो जाना और ज्ञान के सागर में डूब जाना ,कहा कोई भी परेशानी ओर दुख या किसी तनाव ना रहे ।इसमें हम अपनी इन्द्रियों को काबू करना सीखते है जिससे हम उसे फालतू चीज़ों में भटकने से रोक कर अपने जीवन में सकारात्मक विचारों को उत्पन्न कर सके और नकारात्मक भाव को खत्म कर सके।
अब मेडिटेशन को करने के लिए हमें सुबह का समय चुनना चाहिए क्युकी सुबह के समय हमारे आसपास का वातावण शुद्ध होता है और शांतीपूर्ण वातावरण होता है जिससे हमें ध्यान लगाने में मदद मिलती है।सुबह के समय हमें वायु भी शुद्ध मिलती है।
दूसरी बात हमें ध्यान के लिए स्थान का चयन बहुत अच्छे से करना है जहां भीड़ भाड ना हो।हमें एक शांत वातावरण वाला स्थान को चुनना है।
तीसरी और महत्पूर्ण बात हमें ध्यान लगाते समय केसे बैठना या केसे ध्यान लगाना है।ये बाते हम ध्यान के प्रकार में अच्छे से समझेंगे।
मेडिटेशन के बहुत से प्रकार होते है लेकिन सभी का सिर्फ एक ही उद्देश्य होता है कि हमारे विचारो और मन को शांत करना और मनुष्य कि अपने अस्तित्व को पहचानने में मदद करना ।
मेडिटेशन क्या होता है
मेडिटेशन के प्रकार:
मेडिटेशन के बहुत से प्रकार हो सकते है लेकिन सही और सटीक तरीका मेडिटेशन का अपनी कमर या रिड की हड्डी को एक दम सीधा करके या बिल्कुल सीधा लेटकर, खड़े रहकर ध्यान लगाए जैसा आपकी सही लगे या जिस अवस्था में आपको सुविधाजनक लगे।
अक्सर लोग कुछ दिन मेडिटेशन करने के बाद बंद कर देते है क्युकी उन्हें ये करना कठिन सा लगता है या वो ध्यान नी लगा पाते है।लेकिन आपको ये बात समझ लेना चाहिए कि ध्यान कोई एक दिन मे नहीं लगने लगा जाता आपको कुछ दिन कठिनाई होगी लेकिन कुछ दिनों के प्रयास से आपको ध्यान लगाना अच्छा लगने लगा जाएगा।आपको शुरुवात में धीरे धीरे ध्यान लगना शुरू करना चाहिए जेसे शुरुवात में २-४ मिनिट फिर आपको इसका समय बढ़ाते जाना है।
मेडिटेशन या ध्यान लगाने के बाद अपने मन को बिल्कुल शांत करना है और अपने इन्द्रियों को काबू करना है ताकि वो इधर उधर की चीजे ना दिखाए । अक्सर हम जब भी सोते है या आंखे बंद करते है हमारी बंद आंखो के अंदर भी हमारा मन कुछ ना कुछ सोचता है और दृश्य दिखता है ।ये वही दृश्य होते है जो हमने कभी ना कभी उस चीज को देखा होगा या अनुभव किया होगा।हमें ध्यान से उसी दृश्य को खत्म करना है और अपने मन को एकाग्र करते हुए अपने विचारो को शुण्यात्मक करना है ताकि हम अपने आप को बेहतर बना सके और अपनी वास्तविकता को पहचान सके।
हम ध्यान या मेडिटेशन को इस तरह से कर सकते है
(१) सयोग मेडिटेशन: इसको करने से हमारे मन को ठंडक पहुंचाती है।इसे करने से आत्म जागरूकता पैदा होती है।
(२) ओम मेडिटेशन :
इसमें हमें अपनी पीठ को सीधा करके अपने पांवों को मोड़कर बैठना है उसके बाद अपनी आंखे बंद करके ओम शब्द का उच्चारण करना है।उच्चारण करते समय अपने में को बाहरी दुनिया से अलग करने की कोशिश करना चाहिए।
(३)प्रकाश स्रोत के द्वारा मेडिटेशन:
इसमें हमें किसी प्रकाश सोर्स जेसे मोमबत्ती या दिया की तरफ देखना है और अपना ध्यान इसके तरफ केंद्रित करना है।इस मेडिटेशन से हमारा एकाग्रता बढ़ती है और दिमाग भी तेज़ होता है।
और भी बहुत से प्रकार के मेडिटेशन होते है ।इन सभी का सिर्फ एक ही उद्देश्य होता है मनुष्य को अपने अस्तित्व को पहचानना और अपने विवेक को बड़ाना।
बहुत अच्छा लिखते हो सर आप
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