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दमा अस्थमा क्या है ?
दमा अस्थमा एक फेफड़े की बीमारी है जिसके कारण व्यक्ति को साँस लेने में कठनाई होती है। ये वात एवं कफ दोष के विकृत होने से होता है ,इसमें हमारी श्वास नालिया संकुचित हो जाती है जिसके कारण छाती में भारीपन महसूस होता है। ये फेफड़ो में वायुमार्ग से जुडी एक बीमारी है। अगर किसी को दमा या अस्थमा होता है तब उसकी श्वास नालियों में सूजन होकर श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है,इन्ही वायुमार्गों से हवा फेफड़ो में जाती है और बाहर आती है। अगर सूजन होता है तो हमें साँस अंदर और बाहर करने में तकलीफ होती है और हमें घबराहट, खासी,छाती में भारीपन महसूस होता है।अत्यधिक खासी के होने पर हमारे अंदर बलगम जमता है लेकिन मार्ग अवरुद्ध होने के कारण बाहर नहीं हो पाता है और हमें तकलीफ होती है।
gale ki kharash se paye turant aaram
नॉन एलर्जिक अस्थमा: इस तरह का अस्थमा हमें अत्यधिक तनाव के कारण या बहुत ज्यादा सर्दी जुकाम के हो जाने के कारण होता है ।ये कोई चीज की विशेष एलर्जी के कारण नहीं होता है।
सीजनल अस्थमा: जैसा इसका नाम है वैसा ही ये होता है मतलब की ये कोई विशेष सीजन में होता है ये पूरे साल भर ना रहते हुए किसी विशेष मौसम में होता है ।
ऑक्युपेशनल अस्थमा: इस तरह का अस्थमा हमें किसी पोल्यूटेड या बहुत अधिक प्रदुषण वाली जगह पर रहने या वहा काम करने से होता है जेसे कारखाना,केमिकल फैक्ट्री आदि।
पेरिनियल अस्थमा: ये एक दम से होने वाला अस्थमा है ये कोई एलर्जी के कारण नहीं होता ना ही ये बारहमासी है ये कही भी कब भी हो सकता है ।
heart attack se kese bache
gale ki kharash se paye turant aaram
अस्थमा के प्रकार:
एलर्जिक अस्थमा: इसमें हमें किसी विशेष चीज़ों के कारण एलर्जी होती है अगर हम उन चीज़ों के संपर्क में आते है तो हमें इस तरह के अस्थमा होता है ।इसमें हमें धूल ,मिट्टी,नमी,सर्दी वगेरह में एलर्जी होती है।नॉन एलर्जिक अस्थमा: इस तरह का अस्थमा हमें अत्यधिक तनाव के कारण या बहुत ज्यादा सर्दी जुकाम के हो जाने के कारण होता है ।ये कोई चीज की विशेष एलर्जी के कारण नहीं होता है।
सीजनल अस्थमा: जैसा इसका नाम है वैसा ही ये होता है मतलब की ये कोई विशेष सीजन में होता है ये पूरे साल भर ना रहते हुए किसी विशेष मौसम में होता है ।
ऑक्युपेशनल अस्थमा: इस तरह का अस्थमा हमें किसी पोल्यूटेड या बहुत अधिक प्रदुषण वाली जगह पर रहने या वहा काम करने से होता है जेसे कारखाना,केमिकल फैक्ट्री आदि।
पेरिनियल अस्थमा: ये एक दम से होने वाला अस्थमा है ये कोई एलर्जी के कारण नहीं होता ना ही ये बारहमासी है ये कही भी कब भी हो सकता है ।
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दमा अस्थमा के लक्षण:
- सांस फूलना या सांस लेने में दिक्कत आना
- सांस लेते समय सिटी जैसी आवाज आना
- गले का अवरुद्ध हो जाना
- छाती में भारीपन लगना
- नाडी की गति तेज़ हो जाना
- दौरे के साथ बार बार खासी आना
- बेचैनी होना
- कफ का ना निकालना या कफ जमा होना पर बाहर ना निकल पाना
दमा अस्थमा के घरेलू उपाय:
- हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना जेसे पालक,मेथी आदि
- धूम्रपान ना करना और ना ही ऐसा करने वाले के पास बैठना
- आंवला श्वसन कार्यों को बरक़रार रखता है और खासी से तुरंत आराम देता है इसलिए आंवला का रस का सेवन करना अच्छा होता है ।आप आवला और शहद के मिश्रण को भी खा सकते है।
- हींग ब्रोंकाइटिस या श्वसन से सम्बन्धी बीमारी के उपचार में बहुत ही फायदेमंद होती है।ये एक बहुत अच्छा श्वसन उत्तेजक है जो बंद छाती को खोलने में मदद करता है।
- तुलसी के पत्ते भी श्वसन में हेल्प करते है ये एक अच्छा घरेलू उपाय है इसके लिए हमें तुलसी के पत्तो का तेल का सेवन करना चाहिए या फिर तुलसी और अदरक का काढा बना करके पिए।
- दमा के मरीजों को बारिश में ,सर्दी से बचना चाहिए क्युकी इससे हमें सर्दी जुकाम हो सकते है और ये दमा का कारण बन सकता है।बारिश में नमी के बड़ने से संक्रमण बड़ता है।इसलिए हमें ज्यादा नमी वाली जगह पर नहीं रहना चाहिए।
- बाहर जाते समय हमेशा मास्क लगा कर जाए
- आहार में हमें तुलसी अदरक, काली मिर्च,लहसुन शहद का सेवन करना चाहिए
- अदरक और शहद का मिश्रण अस्थमा के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्युकी ये हमारी अवरुद्ध श्वास मार्ग को खोल देता है जिससे हमें आराम महसूस होता है ।इसका सेवन करने से फेफड़ों में हवा के प्रवाह में सुधार होता है।
- केलोमाईल चाय भी हमें दमा में राहत देती है इसलिए हमें इसका उपयोग फायदेमंद होगा।
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